अनिद्रा आम जनता की आम परेशानी, ना ना यह परेशानी जितनी आम जनता को है उससे ज्यादा खास लोगो को भी है, तभी तो २१ जुलाई की रात कई सांसद सो नही सके और सुबह उनकी तबीयत इतनी नासाज हूई कि चिकित्सा केन्द्र का रूख करना पडा।
काश! यह लेख मैने पहले ही डाल दिया होता, या फ़िर काश वो मुझसे इलाज कराते, बीमार होने के और भी अच्छे बहाने बना देती मै :)।
खैर रात गयी बात गयी वाली दृष्टि से मै आगे बढ रही हूँ अनिद्रा के समाधान के लिये।
वास्तव मे अनिद्रा कोई बीमारी नही है, बस वो बीमारीयों को आने का न्योता देती है, या फ़िर किन्ही अन्य बीमारीयों/परेशानियों के कारण यह बीमारी भी सर चढ के बोलती है।
इस परेशानी से परेशान लोगो की एक खास परेशानी यह बन जाती है कि जब पूरी दुनिया सो रही हो तो वो बातें किससे करें? मजाक नही सच मे, मेरे पास रोज ही इस परेशानी से पीडीत आते हैं, प्रतिशतता मे इनकी संख्या ९९% कह सकती हूँ, एक तो कारण है कि अनिद्रा के लिये सही इलाज सिर्फ़ मेडिटेशन के पास है, दुसरा कारण है कि डॉक्टर भी इतनी सारी नींद की गोलियाँ खिला चुका होता है कि अब खिलाने की हिम्मत नही रहती। बहूत हूई मस्ती अब काम की बात करती हूँ :)।
नही थोडी सी मस्ती और कर लेती हूँ फ़िर काम की बात-
आप एक बोरींग सी किताब लेकर बैठ जाईये, नींद ऐसे ही आ जायेगी। वो कैसे? वो अकबर बीरबल की कहानी है ना एक, कि बार बादशाह को अनिद्रा की बीमारी लग गयी, बडे-बडे वैद्य आये पर इलाज ना करे सकें। मंत्रीगण आते और उनको अच्छी-अच्छी कहानियाँ सुनाते, पर सब बेअसर, बीरबल आये और एक कहानी सुनाने बैठे, एक घने जंगल मे एक बहूत ही घने पेड पर, बहूत सारी चिडीयाँ बैठी थीं, एक शिकारी वहा गया और उसने जाल बनाया उसमे पहले एक फ़ँसी, फ़िर दुसरी, फ़िर तीसरी..... बादशाह बोले आगे क्या हूआ? बीरबल ने कहा हूजूर पहले सारी फ़ँस जाये तभी तो शिकारी आगे जायेगा, और जब तक शिकारी आगे नही जायेगा, कहानी आगे कैसे बढेगी? बीरबल एक पर एक चिडीया फँसाते रहे और बादशाह को आखिर कार नींद आ गयी। वैसे ये नुस्खा बाद मे भी कई दादी-नानी भी आजमाती आ रही हैं।
कोई सास-बहू सीरीयल भी नींद लाने के लिये मजेदार ऊपाय है।
मुझे जब नीद नही आती तो मै माताश्री का चरणचाप करती हूँ, कुछ समय मे आ ही जाती है, मुझे भी उन्हे भी। :)
अब कुछ अच्छे नुस्खे, मतलब इलाज वाले-
सबसे पहले आप ये तय करें कि आपको अनिद्रा से पीडीत क्यों है? अगर किसी बीमारी की वजह से हैं तो फ़िर आपको पहले उसका ईलाज कराना होगा। ऑफकोर्स आप उसके लिये मुझसे पूछ सकते हैं :)।
आप तय करें कि आपको रात मे किस वक्त से किस वक्त तक नींद नही आती। क्योंकि मेडिटेशन पैकेस उसके अनूरूप बनाना पडता है।
अगर आप मधुमेह और मोटापे के शिकार नही हैं तो सोने से थोडा पहले मीठा खाईये, नींद आ जाती है।
सोने के पहले एक गिलास दूध भी नींद लाने मे सहायक है।
अगर आप बैठे रहते हैं, या कूर्सी पर बैठकर काम करते हैं तो कुछ व्यायाम की आदत डालिये। इतना ही जितने से आप आलस महसूस करें, ना कि आप थक के चूर हो जाये, इस परिस्थती मे भी नींद आपसे कोसो दूर भागा जायेगा।
सोने के समय से आधे घंटे पहले मोबाईल ऑफ कर दें, इससे निकलने वाली तरंगे आपकी नींद चूरा सकती हैं।
मेडिटेशन- यह मेडिटेशन पहले चरण का है... इसके बाद नियम २ लागू होता है जिसके लिये आपको मुझसे सम्पर्क करना पडेगा।
आराम से लेट जायें, बत्तियाँ गुल होनी चाहियें, १० बार गहरी साँस लें, ५ बार ह्ल्के ऊँ का उच्चारण करिये, दोनो हथेलियो को आपस मे रगड कर, उसकी गरमी से आँखो को ढक लिजिये।
अब शवासन की तरह.. धीरे धीरे करके अपने शरीर को शिथिल करना है, फ़र्क इतना है कि शवासन मे पैर से सर तक चलते हैं, इसमे सर से पैर तक... थोडे दिन अभ्यास किजिये... आप गहरी नींद के मालिक बन जायेंगे, बस सुबह बिस्तर छोडने के पहले शवासन कर लें।
और चलते चलते रंजना जी के तरफ़ से सुझाव-
नींद के लिए प्राकतिक उपचार ..नींद न आने पर भीगी घास पर सुबह टहलना चाहिए
सोने से पहले गुनगुने पानी से नहाना भी अच्छा है ।
नीम्बू -पानी और शहद एक गिलास पानी में पीने से भी नींद आती है ।
पेट साफ़ रहे इस बात का ध्यान रखे क्यूंकि नींद न आने की शिकायत करने वाले रोगी कमजोर पाचन तंत्र के भी शिकार होते हैं
तो बस अब जमके सोने के लिये तैयार हो जाईये :)
आज के आधुनिक युग मे जहाँ हमने दवाईयों से कई बीमारीयों पर फतह पायी है, वही इनके साईड-इफ़ेक्ट के कारण कई नयी बीमारीयों से ग्रस्त भी हुए हैं, हमारा यह प्रयास होगा कि आप तक ऐसे अचूक तरीके ले आयें ताकि आप बिना किसी अतिरिक्त हानि के स्वास्थ्य लाभ कर सकें।
आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।
हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।
हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया
neend laane ke aasan tareeke batane ke liye dhanyvaad...waise ham to un logon mein se hai jo bistar par girte hi so jate hain...
ReplyDeleteउपाय बतानें के लिए आभार।
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी के लिये धन्यवाद।
ReplyDeleteachchi jankari ke liye dhanyvaad..
ReplyDeleteacchi jankaari ke liye shukriya..
ReplyDeleteउपयोगी जानकारी के लिये आभार।
ReplyDeleteनींदना
ReplyDeleteयानी
नींदहां
दोनों
एक ही हैं
अनेक नहीं
हैं नेक।
बच्चों को पढ़ने
के लिए कह कर
तो देखो, वो भी
चले जाते हैं तुरंत
नींद के आगोश में।
वैसे कहा था गांधीजी ने
सोते हुए को तो जगाया
जा सकता है परन्तु जो
कर रहा हो सोने का बहाना
उसे संभव नहीं है उठाना।
और रंजना जी का सुझाव
आंखों के रास्ते उतर नहीं
पा रहा है
नींद न आने पर
भीगी घास में सुबह
टहलना चाहिए
सोने से पहले
यह उपाय जरूर
दिन में सोने वालों
के लिए ही होगा।
- अविनाश वाचस्पति
भई अगर नींद बहुत ज्यादा आती हो तो उसका क्या कीजे..?
ReplyDeleteहम तो इस बीमारी से परेशान हैं।