आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

May 24, 2007

प्रभामंडल और हम


आभामंडल जिसे अँग्रेज़ में औरा भी कहते हैं आजकल प्रचलित शब्द हो गया है, तो आईये आज इसे थोडा और करीब से जाने।



औरा का लेटीन भाषा मे अर्थ बनता है "सदैव बहने वाली हवा"। औरा इसी अर्थ के मुताबिक यह सदैव गतिशील भी होती है। विभिन्न देशो मे इसे विभिन्न नामो से जाना जाता है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित नाम औरा, प्रभामंडल, या ऊर्जामंडल है।
वास्तव मे यह प्राणी के शरीर से निकलने वाली प्रज्वलित शक्ति किरणे है जिसकी ऊर्जा हर व्यक्ति में रहती है। इस प्रभामंडल का संचालन हमारे शरीर के 7 चक्र करते है, और ये चक्र हमारी मानसिक शारीरिक, भावनात्मक इत्यादि कई कडियो से जुडकर औरा के रूप मे हमारे वर्तमान वक्त के दर्पण को तैयार करते है। जिसे देखकर और उसमे जरूरत के अनुसार बदलाव लाकर हम आने वाली, या तत्कालिक समस्याओ से निजात पा सकते हैं।

इसको संचालित करने वाले चक्र हैं-



मूलादार चक्र- इसका रंग लाल है और इसका सम्बन्ध हमारी शारीरिक अवस्था से होता है, इस चक्र के ऊर्जा तत्व मे असंतुलन , रीढ की हड्डी मे दर्द होना, रक्त और कोशिकाओ पर तथा शारीरिक प्रक्रियाओ पर गहरा असर डालता है।



स्वधिष्ठान चक्र- इसला रंग नारंगी है और इसका सीधा संबन्ध प्रजनन अंगो से है, इस चक्र के ऊर्जा असंतुलन के कारण इंसान के आचरण, व्यवहार पर असर पडता है।



मणिपुर चक्र- इसका रंग पीला है और यह बुद्धि और शक्ति का निर्धारण करता है, इस चक्र मे असंतुलन के कारण व्यक्ति अवसाद मे चला जाता है, दिमागी स्थिरता नही रह जाती।



अनाहत चक्र- इसका रंग हरा है और इसका संबन्ध हमारी प्रभामंडल की शक्तिशाली नलिकाओ से है, इसके असंतुलित होने के कारण, इसान का भाग्य साथ नही देता, पैसो की कमी रहती है, दमा, यक्ष्मा और फेफडे से समबन्धित बिमारीयों से सामना करना पड सकता है।



विशुद्ध चक्र -इसका रंग हल्का नीला है और इसका सम्बन्ध गले से और वाणी से होता है, इसमे असंतुलन के कारण वाणी मे ओज नही रह पाता, आवाज ठीक नही होती, टांसिल जैसी बिमारीयो से सामना करना पडता है।



आज्ञा चक्र- गहरा नीले रंग का ये चक्र दोनो भौ के बीच मे तिलक लगाने की जगह स्थित है, इसका अपना सीधा तालुक्कात दिमाग से है, इस चक्र को सात्विक ऊर्जा का पट भी मानते है, मेरा ये मानना है कि अगर परेशानियाँ बहुत ज्यादा हो तो सीधे आज्ञा चक्र पर ऊर्जा देने से सभी चक्रो को संतुलन मे लाया जा सकता है।



सहस्रार चक्र- सफेद रंग से सौ दलो मे सजा ये चक्र सभी चक्रो का राजा है, कुडलनी शक्ति जागरण मे इस चक्र की अहम भूमिका है, आम जिन्दगी मे यह चक्र कभी भी किसी मे सम्पूर्ण संतुलन मे मैने नही देखा है, वैसे ये पढने मे आया है कि, जिस शक्स मे यह चक्र संतुलित हो वो सम्पूर्ण शक्तियों का मालिक होता है।

इस तरह आप देख सकते है कि कैसे ये सभी चक्र इंसान के सोच, कार्य, क्षमता, और जीवन के सभी पहलूओ का निर्धारण करते हैं, और किस तरह हमारे जीवन की प्रत्येक इकाई इन चक्रो के आधार बनी हुई है। हमारी शरीर की इसी अवस्था को चक्रो के ये रंग बाहरी दिशा मे प्रभामंडल के रूप मे दर्शाते है।
प्रभामंडल के यह रंग साधारणतया नग्न आँखो से नही देखे जा सकते हैं, पर कुछ विशेष मेडिटेशन प्रक्रिया से गुजरने के बाद इन रंगो को देखना आसान हो जाता है।
प्रभामंडल की गति बाहर से भीतर की तरफ और भीतर से बाहर की तरफ तथा शारीरिक आयाम के साथ गोलाई मे भी रहता है। हमारे जीवन मे आने वाले किसी भी परेशानी, परिवर्तन को पहले से ही औरामंडल को देखकर जाना जा सकता है, और औरा हीलिंग के जरिये उसका निदान पाया जा सकता है।
हमारा यह प्रभा मंडल दो भागो में विभक्त किया गया है-


अन्दरूनी भाग-. यह हमारी स्थिती का आईना है इसका फ़ेलाव 4 से 6 इंच होता है तत्कालित परेशानी का उपचार इसी भीतरी प्रभामंडल को संतुलित करके किया जाता है, इस प्रभामंडल को ऊर्जामान करके उपस्थित सभी विकारो को दूर किया जा सकता है।



बाहरी भाग- जो की व्यक्ति के रक्षा कवच का कार्य करता है, इसका फ़ेलाव 6 से 8 फ़ीट तक या इस से भी अधिक होता है ।
इस प्रभामंडल को अगर ऊर्जा देकर संतुलित रखा जाये तो व्यक्ति आने वाली परेशानियो से बचा रह सकता है, तथा कोई परेशानी आ भी जाये तो सामना करने का सम्पूर्ण क्षमता रखता है।


ये तो हूई औरा की प्रारंभिक जानकारी... इसके आगे और जानकारी लेकर हम हाजिर होंगे, तब तक के लिये टाटा बाय बाय और शुक्रिया।


- रंजना भाटिया और डॉ गरिमा तिवारी

16 comments:

  1. आपने‍ हिंदी भाषा में जिस सरल तरीके से प्रभामंडल के बारे में समझाया वह किसी पुस्‍तक में शायद ही मिले। छोटे मोटे उपचार आम आदमी इसे पढ़कर कर लें यह भी बताएं तो दूर दराज में बैठे जरुरत मंद लोगों भला होगा। आपके इस प्रयास की मैं सरहाना करता हूं और उम्‍मीद है निरंतर ऐसी सामग्री से आप हमारा ज्ञान बढ़ाती रहेंगी।

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  2. गरिमा जी, प्रभा मंडल के बारे मे बहुत सटीक व बढिया ढंग से जानकारी दी गई है।आप की अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा।

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  3. आपका यह हिन्दी चिट्ठाकारी की उपयोगिता का ग्राफ़ बढ़ाएगी। सही है कि 'प्रभामंडल' के विषय में इतनी अच्छी जानकारी किसी पुस्तक में शायद ही मिले।

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  4. सच ही कितने आसान शब्दों में आपने हम सबको यह जानकारी दे दी।
    साधुवाद!

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  5. ब्लागर दुनियाँ में इस विषय पर परिचर्चा होनी चाहिए थी जो अबतक अधूरी है…इस शुरुआत से नये ज्ञान का आरंभन होगा…।
    चूंकि मैं ध्यान और योग की क्रिया से जुड़ा हूँ तो इसकी सार्थकता को समझ सकता हूँ।

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  6. शुक्रिया कमल जी ...हमारा यही पर्यास है की सीधी अपनी भाषा में इसके बारे में ज़्यादा से ज़्यादा बताया जाए ...

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  7. शुक्रिया परमजीत जी अगली पोस्ट का इंतज़ार करे ..:)

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  8. शुक्रिया शैलेश जी ....आप यहाँ आए और इसको पढ़ा

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  9. संजीत जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

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  10. शुक्रिया दिव्याभ ...बहुत से ऐसे विषय हैं जिस की हिंदी में लिखने की ज़रूरत है ..आपने हमारे इस प्रयास को पसंद किया ...और इस की सार्थकता को समझा ..अच्छा लगा

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  11. औरा को जानने के लिये पहले अपने को जानना बहुत जरूरी है,जो अपने को जान गया,वह सब कुछ जान गया। इस आथिक युग मे हर आदमी पैसा से परेशान है,आदमी को दिमागी काम से डर लगता है,मेहनत से डर लगता है,वह केवल छीन कर लूट कर खाना चाहता है,यह सब जानवरी परभाव है,बोतल के दूध से मिला जानवरी पदारथों का असर है,मांस मदिरा का असर है।

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  12. ranjuji maza aa gaya, ise padhakar. aage bhi aise hi likhta rahain.
    thanks
    ashok

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  14. गरिमा....
    aura ke visay mein itni saral jaankari pahli baar dekh rahi hoo......man mein aane wale bahut se prashno ke utter apne aap mil gaye...........
    tum to meri aura guru ho......on line practice se maine aura ke sach mein darshan kiye.........
    lakin abhi bahut kuch hai samjhne ke liye........fursat milte hi mein practice zaari rakhoongi....
    apne gyan ko sarvjanik karne ka bahut bahut sukrriya.........

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  15. dear garima, the information here is very crucial for our lives. the info enriched me and made me enthusiastic to learn more about this subject. I understand that this is very wide subject and everyone should know about this. really!! this is an appreciable step taken by you to keep others updated on such subjects which are boon for human.

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  16. ब्लागिंग विधा पे जीवन ऊर्जा, सही हुआ उपयोग.
    मानवीय मूल्यों के संग ही, है वि्ज्ञान सुयोग.
    है विज्ञान सुयोग्य, अन्यथा अभिशापों का.
    अविरत चक्र बन गया मानव के पापों का.
    कह साधक गरिमा छाई है, धन-सुविधा पे.
    पाई जीवन ऊर्जा, आज ब्लागिंग- विधा पे.

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