आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

June 16, 2007

कर्म और भाग्य

(मेरी पुस्तक “गैटिंग बेसिक्स राइट इन अस्टॉलोजी” से उद्धरित व भाषा-रूपांतरित)

प्रायः लोग इस भ्रम के साथ जीवन व्यतीत करते हैं कि उन्होंने अपना भाग्य खुद बनाया है। वे इस माया में खुश हैं तो उन्हें रहने दो। किंतु सत्य यह है कि भग्य हमें बनाता है। वह इतना स्वतंत्र और शक्तिमान है कि हमें अपनी इच्छा से बहा ले जाता है। यहाँ यह विचार करना आवश्यक है कि यदि सब कुछ पूर्व-निर्धारित है तो ज्योतिष क्या है और उसकी आवश्यकता क्या है?

आइये एक चर्चा का भाग बनें!

जैसा कि मैं हमेशा कहता हूँ कि समाज में ज्योतिषी के अलावा सब अंधे हैं। यहाँ कुछ बातें स्पष्ट करना आवश्यक है। हर वह व्यक्ति ज्योतिषी है जो किसी न किसी दैवी विद्या से जुडा है। उससे अधिक और महत्त्वपूर्ण है कि हर वह व्यक्ति जो ज्योतिष के नाम पर समाज को ठग रहा है, या अपने कच्चे लालच के लिए कुप्रचार कर रहा है ज्योतिषी नहीं है, केवल पाखण्डी है।

आइये चर्चा करें -

भाग्य को एक खेल के उदाहरण से देखें। खेल के स्पष्ट नियम और दायरे हैं। फिर भी खिलाडी ज़रूरत या पारिस्थितिक दबाव में नियम तोड ही देते हैं। वहीं खेल के दौरान कुछ खिलाडी उभरते मौकों को भाँप कर उनका सही लाभ उठाते हैं। मैं जो पक्ष रखना चाहता हूँ वह यह है कि भाग्य के अन्दर ही स्वायत्त्ता के लिए भी स्थान रहता है। इसी कारण मैं हमेशा कहता हूँ कि केवल ज्योतिषी के पास नेत्र हैं। वे नेत्र जिनके द्वारा वह किसी भी के जीवन-ऊर्जा के बहाव को देख सकता है। उसके आधार पर वह उस व्यक्ति को जीवन में आर्थिक, सामाजिक, भौतिक व आध्यात्मिक लक्ष्य निर्धारित करने और उनकी पूर्त्ति में सहयता कर सकता है।

मैं अकसर कहता हूँ कि ज्योतिष वयक्ति को जलधारा के साथ तैरने का मार्ग बताती है। हाँ यदि फिर भी कोई उसके विपरीत तैरना चाहे तो कुछ समय तक तो अच्छा लग सकता है, पर उसका थककर डूबना निश्चित है।

फिर भी मैं इस चर्चा को पाठ्कों के विचार के लिए खुला छोडता हूँ। मैं केवल अपन पक्ष रख सकता हूँ, उसे मानना या नहीं मानना हर व्यक्ति का अपना विवेक है।

संजय गुलाटी मुसाफिर

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1 comment:

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