आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

August 20, 2007

जान है तो जहान है, हृदय है तो जान है।

आजकल हृदयाघात की समस्या बढ़ती जा रही है। अब हर तीसरे इंसान को यह डर लगा रहता है... मै हृदय रोगी तो नही"।

ऐसे मे जरूरत है थोड़ी जागरूकता की, अपने सामान्य जीवन मे थोड़े से फेर बदल की, जिससे आप इस थकाऊ, खर्चीले बीमारी से दूर रहेंगे।


1. अपने खान-पान पर ध्यान दीजिये, जरूरत के अनुसार खाईये। जहाँ तक हो सके तैलीय पदार्थो से दूर ही रहिये।
सामान्य तौर पर महिलाओ की एक आदत होती है, खुद भले ही रूखी-सुखी खा लेती है, पर घर के और लोगों को घी मे चुपड़ी रोटी खिलाती हैं, इस तरह कि आदत से बचना ही श्रेयष्कर होगा। इसलिये अपने घर की महिलाओ को यह बात समझानी चाहिये कि "जिससे हो दुश्मनी निभानी, उसे है घी रो-टी खिलानी, अपनो को दिल से अपनाईये, भले ही रूखी-सूखी खिलाईये।"

मुझे अक्सर बुजुर्ग लोग यह कहते हुए मिलते हैं कि आजकल के बच्चो मे तो अब वो बात नही रही, पहले हम इतना घी खाया करते थे और पचा जाते थे, बहूत ताकतवर होते थे... इत्यादि।
ऐसे भ्रम से दूर ही रहना चाहिये, तब एक घर मे 7 भाई होते थे और उनमे अधिकांश उम्र के पहले ही गुज़र जाते थे, दूसरी बात की तब के परिवेश मे और आज के परिवेश मे बहूत ज्यादा अंतर हो गया है।
तब शारीरिक मेहनत ज्यादा होती थी और अब मानसिक मेहनत का जमाना है। अब कुदाल चलाना नही रहा, बल्कि मशीनीकरण हो रहा है हर तरफ।

2. खुद को फ़ालतू की परेशानियों मे नही डालना चाहिये, एक कहावत है "जब पैसे ना थे तो कमाने की परेशानी, हो गये तो बचाने की परेशानी"। भगवान ऐसी आदत से बचाये। आप समझ रहे होंगे, मै क्या कहना चाहती हूँ :)।

3. आज की सबसे बड़ी परेशानी "लोग क्या कहेंगे"। इस तरह के चक्कर मे पड़ कर किसी भी हानिकारक व्यवस्था को ना ही अपनायें, कहने का मतलब है कि, सिर्फ दिखावे के लिये किसी भी नशे का आदी नही बनना चाहिये। मै ऐसा इसलिये कह रही हूँ क्युँकि कई लोग यह कहते मिलते हैं "क्या करूँ मेरी ऐसी आदत ना थी, पर दोस्तो के लिये...., या फिर अपने आपको को उच्च प्रोफाईल मे लाने के लिये ऐसी आदत डाल ली... इत्यादि, ऐसी आदत से तौबा ही रखना चाहिये, ऐसी कोई भी ऐसी आदत नही डाले जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो।

4. 30 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से अर्जुन क्वाथ का सेवन करें, याद रहे यह कोई दवा नही बल्कि हृदय के लिये अमृत है, इसलिये निःसंकोच इसका सेवन करें।

5. 35 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से वार्षिक T.M.T टेस्ट कराना चाहिये।

T.M.T टेस्ट ना कराने की वजह होती है, इसे लोग फालतु का खर्च मान बैठते हैं, जो कि गलत है, यह फालतु खर्च नहीं बल्कि बीमारी होने के बाद, होने वाले खर्च और परेशानी से बचने का तरीका है।
दुसरा तथ्य है कि कितने लोग बीमारी पकड़े जाने के डर से टेस्ट नही कराते, यह भी गलत है, कोई बिमारी आपको अन्दर ही अन्दर खोखला करे उससे अच्छा है कि पहले ही उसका पता लग जाये, ताकि समय रहते समाधान किया जा सके।

6. हास्य चिकित्सा को अपने जीवन मे स्थान दिजिये, मतलब की हँसिये, और दुसरो को भी हँसाईये।

7. ढ़ृढ़ इच्छाशक्ति रखिये, गलतियों से सीख लिजिये, कुंठा का शिकार मत बनिये।

8. सेल्फ मेडिटेशन फॉर हॉर्ट जरूर सीखिये.... (कौन बतायेगा? मै हूँ ना :D)
ना सीखने वाले के पास भी अपने तर्क हैं... फालतु का खर्चा कौन करें... जनाब यह खर्च नही स्वस्थ्य रहने का उपाय है।
अब मेडिटेशन के लिये वक्त नही बचता... अर्रे आज वक्त नही है... (कल को बिमारी पकड़ ली तो वक्त ही वक्त रहेगा... आपकी मर्जी... मेरा काम तो मात्रा बताने/सीखाने भर का है।) अब कुछ नही कहूँगी वरना लगेगा मै प्रोमोशन करने मे लगी हूँ :)।


यह तो रहा हृदय को बीमारींयों से बचाने का तरीका, वो क्या करें जिन्हे यह बीमारी लग गयी है... अगले अंक मे उस उपाय के साथ आऊँगी... तब तक लिये टाटा ।

5 comments:

  1. सेल्फ मेडिटेशन फार हार्ट करना कैसे है वो तो बतायें. बाकी की जानकारी के लिये आभार.

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  2. बढिया जानकारी दी है।धन्यवाद।आप की अगली पोस्ट का इन्तजार है।

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  3. आपने जानने लायक जानकारी दी है.शुक्रिया.

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  4. आपकी एक बात से मैं आंशिक रूप से सहमत नहीं, घी के बारे में जो आपने कहा वह सही नहीं है,शायद आप तेल के बारे में कहना चाह रही थी!
    घी का एक निश्चित मात्रा में सेवन किया जाये तो वह ज्यादा नुकसान नहीं करता, बाकी तो "अति सर्वदा वर्जयते" :)
    आयुर्वेद में गाय के घी के सेवन पर जोर दिया गया है, और हमारे एक ऋषि तो कह गये हैं " ऋण कृत्वा घी पीबेत" यानि ऋण क भी घी पीना चाहिये :) :)
    लेख की बाकी की जानकारियाँ बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद

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  5. itni sundar jankari ke liye ...hriday se dhanyawad...mujhe bhi kuch tips dene ki kripa kare...mera dil kabhi 2 ..120 ki raftar se dhadkne lagta hai...BP ki dwa le rahi hu kuch fayda nahi ho raha hai

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