यह एक तरह का मानसिक रोग है | बहुत अधिक दुःख का अनुभव होना ,अकेलापन ,निराशा ,जीवन की दिनचर्या के साथ साथ न चल पाना अवसाद या डिप्रेशन को जन्म देता है |
कई बार मन अवसाद ग्रस्त होता है और अपने आप ठीक हो जाता है |लेकिन कई बार अवसाद मन में कहीं गहरे तक बैठ जाता है |इस के तब लक्षण दिखायी देते हैं ---
--दुःख का लगातार अनुभव
---लगातार उर्जा में कमी
--नींद में कठिनाई
--भूख में कमी
--वजन का घटना
---सिरदर्द का रहना लगातार
---अपच कब्ज रहना
---बात बात पर रोना और आत्महत्या की इच्छा होना |
अब यह किसी एक वर्ग को हो यह जरुरी नही है। पढने वाले बच्चे परीक्षा के डर से , या नम्बर कम आने के डर से इस अवस्था में आ जाते हैं .महिलायें पुरूष कोई भी किस समय इस का शिकार हो जाए कौन जाने|
अवसाद रोगियों के लिए प्राकतिक चिकित्सा ,रेकी , ऊर्जा चिकित्सा आशा की किरण है |
प्राकृतिक चिकित्सा में दवाई के बिना रोगी को ठीक करने की कोशिश होती है
कई तरह के योगासन ,प्राणायाम ,संतुलित आहार पेट पर मिटटी की पट्टी ,रीढ़ स्नान ,आदि ऐसे कई उपाय है जिनसे पुनः सामन्य जीवन जीया जा सकता है | यह सभी उपाय किसी चिकित्सक की देख रेख में करने चाहिए |
अक्सर कई बार हम अवसाद ग्रस्त रोगी की बात को अनसुना कर देते हैं |वास्तव में ऐसा होना नही चाहिए , उसकी बात सुने उसकी मदद करे ताकि वह आत्महत्या जैसा विचार अपने दिल में पनपने न दे | उसको यह विश्वास दिलाये कि आप उसके साथ है वह अकेला नही है | खुली हवा अच्छा वातावरण ,उसमें उसका आत्मविश्वास वापिस ला सकता है |
यह तो थी प्राकतिक चिकित्सा ऊर्जा चिकित्सा से इसके उपचार के विषय में आपको डॉ गरिमा बतायेंगी ...
- आप अपने औरा हीलर को लाल और सुनहले रंग से औरा संतुलित करने के लिये कहिये।
- मेडिटेशन जरूर करें।
- अपने साथ ऊर्जान्वित गोल्डेन जिरकॉन रखें।
- समय समय पर आत्म विश्लेषण करते रहें।
हमने एक सेल्फ मेडिटेशन पैकेज बनाया है जो बहूत हद तक कारगर है, अगर किसी कारणवश यह काम नही करता फ़िर आपको रेगुलर मेडिटेशन कोर्स सीखन पड सकता है।
प्रथम चरण
आराम से बैठ या लेट जायें... ५ बार गहरी साँस ले, आँखे हल्की बन्द करें, और बस कुछ देर के लिये अपने दिमाग मे आने जाने वाले विचारो को देखते रहें। उनको पूरी तरह से महसूस करें। फ़िर ५ बार गहरी साँस ले उठ जाये। कुछ दिन तक यह प्रयोग करें।
दूसरा चरण
आराम से बैठ या लेट जायें... ५ बार गहरी साँस ले, आँखे हल्की बन्द करें, अब याद करे उन बूरे दिनो को, जिनके कारण आप परेशान हैं, जितना बूरा वक्त बीता है सबको... और सोचे कि ऐसा नही होता तो क्या होता? फ़िर ५ बार गहरी साँस ले और उठ जायें।
तीसरा चरण
आराम से बैठ या लेट जायें... ५ बार गहरी साँस ले, आँखे हल्की बन्द करें, अब अपने अच्छे दिनो को याद करें, हर इन्सान के जीवन मे अच्छे और बूरे दिन दोनो ही आते हैं, बूरे पर तो हम याद कर चूके हैं, अब अच्छे पलो की बारी है, जितना याद आये याद करें, कोई जल्दी नही है, आराम से धीरे धीरे आगे बढे और बढते जायें, फ़िर ५ बार गहरी साँस ले और उठ जायें।
अन्तिम चरण
अब तक आप समझ गये होंगे कि निराश होने वाली कोई बात नही है, जिन्दगी मे अभी आशा कि किरण बची है, तो अपने उस किरण को सोच का रूप दे डालिये।
आराम से बैठ या लेट जायें... ५ बार गहरी साँस ले, आँखे हल्की बन्द करें, अब अपने उस सोच को मन मे बार बार दूहराते जाईये.. जितना हो सके.. कोई जल्दी नही है.. आराम से... फ़िर ५ बार गहरी साँस ले और उठ जाईये। अब यही अन्तिम चरण आपको रोज करना है :)
मेडिटेशन का यह रेखाचित्र मात्र था.. आप अपने लिये सही शब्दो का चुनाव करे, या कोई परेशानी हो तो हमसे सम्पर्क करें।
अगर कोई इन्सान अत्यन्त अवसाद मे डूबा है तो बेहतर होगा कि उसको पहले ऊर्जा चिकित्सक से मिलवायें, उसके बाद मेडिटेशन करायें।
रंजू जी
ReplyDeleteआपमें तो एक कुशल मनोवैग्यानिक छिपा बैठा है। मन का इतना सुन्दर विश्लेषण किया है आपने। वाह बहुतो को लाभ होगा। बधाई स्वीकारें।
रोचक जानकारी!! आभार.
ReplyDeleteबहुत शानदार.
ReplyDeleteकाफ़ी उपयोगी पोस्ट.
आपको कोटि-कोटि धन्यवाद.
अवसाद के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी के लिए धन्यवाद
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