आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

October 18, 2008

आरोग्यवर्धनी वटी

आरोग्यवर्धनी वटी (र. र. स.) आयुर्वेद की एक चमत्कारी एवं असरकारी औषधी है। मैने इसको निम्नलिखित रोगों मे लाभदायक पाया है-
अग्निमांद्य: वज्रकक्षार के साथ मे प्रयोग किया जाता है;
ह्र्दय जन्य शोथ रोग मे: आरोग्यवर्ध्नी वटी को दशमूल क्वाथ और २ ग्राम अर्जुन चूर्ण के साथ :
लीवर के बड्ने पर: पूनर्नवाष्टक क्वाथ और रोहेडा की छाल के साथ।
पीलिया: अवरोधक पीलिया मे इस औषधी को मूली के रस और कुटकी चुर्ण के साथ दिन मे तीन बार लिया जाता है।
त्वचा विकारों मे: सभी त्वचा विकारों मे आरोग्यवर्धनी को महामन्जीष्ठादि क्वाथ के साथ दिया जाता है।
इसके अतिरिक्त इ़स योग को युक्ति पुर्वक विभिन्न रोगों मे प्रयोग किया जाता है:
चेतावनी: आयुर्वेदिक डाक्टर की सलाह से प्रयोग करें।
जीवा आयुर्वेद के लिये
डा. राणा

2 comments:

  1. बहुत अच्छी जानकारी दी है .आगे भी निरंतर देते रहें

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  2. उपयोगी जानकारी प्रदान करने का शुक्रिया।

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