MY SON AGED 21 YEARS - A CASE OF CEREBRAL PALSY SPASTIC QUDERIGIPLEGIA.PERSENTLY PERSUING M.Sc. BIOTECHNOLOGY LOCALLY FROM ALWAR (RAJ).HE IS SLOW IN WRITING DUE TO SPASTICITY.IN WALKING DRAG TOES OF BOTH LEGS. LANDING ON TOES.SEEKS SUPPORT WHILE WALKING.
KINDLY ADVISE
-S P PARASHAR
परशार जी , तकीनिकी कारणो से मै आप द्वारा दी गई रिपोर्ट्स को प्राप्त नही कर सका । आपने रोग के आरम्भ होने का समय नही बतया है ।
इस तरह के लक्षणो को आयुर्वेद मे वात रोगो की श्रेणी मे रखा गया है ।
पन्चकर्म आयुर्वेद इसमे बहुत ही उपयोगी है । बेहतर यही होगा कि आप किसी पन्च्कर्म चिकित्सक से सपर्क करे।
फ़िर भी सामान्य चिकित्सा मै यहाँ लिख रहा हुँ -
हर रोज एरण्ड तैल २० मि. लि. दुध मे डालकर रात को , इससे सुबह एक हल्का सा दस्त लगेगा।
बला तैल और महानरायण तैल दोनो मिलाकर प्रभावित अँग और शिर कि मालिश।
क्षीर बला तैल का नस्य।
मालिश करने के बाद सेक- कुकर मे एरण्ड पत्र और निर्गुन्डी पत्र लेकर सीटी उतार कर नली लगाकर प्रभावित अँग को सेके।
निरुह बस्ति- ३० मि. लि. क्षीरबला तैल सिरिंज मे लेकर एनिमा करे और उसके बाद ७०० मि. लि. दशमुल का गुनगुना क्वाथ एनिमा पोट मे लेकर एनिमा कर दे । ध्यान रखे कि यह सब खाली पेट करना है , (सप्ताह मे एक बार)
मात्रा बस्ति-- निरुह बस्ति के बाद अगले दिन ४५ मि. लि. क्षीर बला तैल(कोष्ण) सिरिंज मे लेकर खाना खाने के तुरन्त बाद एनिमा करें, ध्यान यह रखे कि यह बस्ति खाने खाने के तुरन्त बाद ही देनी है , १ सैकण्ड का भी विलम्ब ना करे । (लगातार ७ दिन)
खाने के लिये--
बृहत वात चिन्तामणि रस १२५ मि. ग्रा.
श्रन्गाभ्र रस २५० मि. ग्रा.,
विष तिन्दुक वटी १२५ मि. ग्रा.
योगराज गुग्गुलु २५० मि. ग्रा.
यह एक मात्रा है शहद मे मिलाकर सुबह शाम खाना खाने से १ घन्टा पहले ।
अजमोदादि चुर्ण ३ ग्रा. खाना खाने के बाद दो बार कोष्ण जल से
अश्वगन्धारिष्ट और बलारिष्ट दोनो मिलाकर २० मि. ग्रा,. और समान मात्रा मे पानी मिलाकर खाना खाने के बाद दो बार
इसके अतिरिक्त नियमित व्ययाम भी करवाते रहे ।
१ महिने तक इस योग को करे इसके बाद मुझे मेल करके सुचित करे
आज के आधुनिक युग मे जहाँ हमने दवाईयों से कई बीमारीयों पर फतह पायी है, वही इनके साईड-इफ़ेक्ट के कारण कई नयी बीमारीयों से ग्रस्त भी हुए हैं, हमारा यह प्रयास होगा कि आप तक ऐसे अचूक तरीके ले आयें ताकि आप बिना किसी अतिरिक्त हानि के स्वास्थ्य लाभ कर सकें।
आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।
हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।
हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया
December 30, 2008
पक्षाघात
पाठकों से निवेदन है कि आपनी समस्या को पुरे विस्तार के साथ लिखे और कहां कहां से कैसा ट्रिट्मैन्ट लिया है उसको भी बताये, साथ मे एक फ़ोटो भी भेजे ताकि मै प्रकृति का निरधारण कर सकुं ।
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बहुत ही उपयोगी सलाह है।
ReplyDeleteजानकारी तो वाकई बहुत उपयोगी है जाकिर बाबू लेकिन पता नहीं आपके लिये ये ब्लागर उपयोगी है या नहीं ये तो लिंक भेज कर देखिये कि क्या होता है या इनकी भी सुई कहीं किसी डा.देशबंधु बाजपेयी पर अटकी है डा.रूपेश श्रीवास्तव की तरह.....
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