hello sir, please tell me about the lucodarma/vitiligo and precotions of the that deases .as well as tell me food precotions.thanks for all the deatial.
आपने बहुत ही कम जानकारी दी है , इस जिद्दी रोग से बहुत हि रोगी पिडित है अत: मै इसकी सामान्य चिकित्सा लिख रहा हुँ । ध्यान देने योग्य बात यह है कि यह रोग जितना पुराना होता है उतना ही जिद्दी होता है
सबसे पहले तो खट्टी चिजों का और नमक का बिल्कुल परहेज रखे. जब तक दवाइ चलती है
सादा खाना खाएं, मांस , मछली , अण्डा, शराब आदि का परहेज रखें।
हर रविवार सुर्य देवता की उपसना करे और व्रत रखें।
शशिलेखा वटी २५० मि. ग्रा.
उदयादित्य रस १२५ मि. ग्रा.
बाकुची तैल २ बुन्दे
शहद अधा चमच
यह एक मात्रा है सुबह शाम ले।
खदिर क्वाथ १ लिटर मे बाकुची चुर्ण १०० ग्रा. मिलाकर उसको इतना पाक करे कि वह अवलेह जैसा हो जाए , इसकी १ चमच इन औषधियों के साथ ले सुबह शाम।
लगाने के लिये--
तुत्थ आश्च्योतन _ प्रभावित स्थान पर लगाएं और आधा घन्टा के लिये सुबह के समय धुप सेके
कुछ दिनो बाद प्रभावित स्थान पर फ़फ़ोले पडेंगे उन पर चित्रक और गुन्जा फ़ल चुर्ण को गोमुत्र मे पीसकर लेप करें।
तीन महीनो लगातार करे और पथ्य पालन करे ।
आज के आधुनिक युग मे जहाँ हमने दवाईयों से कई बीमारीयों पर फतह पायी है, वही इनके साईड-इफ़ेक्ट के कारण कई नयी बीमारीयों से ग्रस्त भी हुए हैं, हमारा यह प्रयास होगा कि आप तक ऐसे अचूक तरीके ले आयें ताकि आप बिना किसी अतिरिक्त हानि के स्वास्थ्य लाभ कर सकें।
आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।
हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।
हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया
बड़ी जरूरी जानकारी. धन्यवाद.
ReplyDeleteyae rog theek nahin hota haen . daag kam jyaadaa hotey rehtey haen . yae rog nahin haen kewal tvachha rang badal laetee haen kyuki melanin pigment kam hota haen
ReplyDeleteis sae uth kar sochey rog man sae hota haen tan sae nahin
देखिये , जो भी कारण शरीर और मन कॊ दुख पुहचाता है , उसी को व्याधि के नाम से जान जाता है ,श्वित्र कुष्ठ , भी एक रोग ही है , जीवा आयुर्वेद
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