आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

April 21, 2009

कुमारी , ग्वारपाठा, घृतकुमारी (Alove vera)

घीकुवांर मुख्य रुप से कफ़ पित्त शामक होताहै । यह शीत, स्निग्ध, पिच्छिल, गुरु, रस मे कटु,   विपाक मे  मे भी कटु, और वीर्य शीत होता है ,  इसके रस के घन को एलुआ य मुस्स्ब्बर कहते है और यह ऊष्ण होता है ।

आधुनिक औषधि वर्गीकरण मे इसे पित्तविरेचन वर्ग मे रक्खा गया है । इसकी मुख्य क्रिया वृहदाआन्त्र पर होती है जिससे इसकी पेशीयों का प्रबल संकोच होकर इसकी पेरीस्टालिक मुमैंट बढ जाती है । इस तरह से यह कब्ज मे मुख्य रुप से काम करता है ।
कुल मिलाकर यह अपान वायु पर कार्य करता है
आचार्य भावमिश्र ने इसके ये गुण , दोषकर्म बताएं है ----भेदनी -- यानि रुके हुए मल का भेदन करने वाली
  २ शीत
 ३. तिक्त
  ४ नेत्रॊं के लिये हितकर
 ५. रसायन ( बुढापे को रोकने वाली और व्याधिक्षम्त्व बढाने वाली)
 ६बृंहणीय ( शरीर को मोटा करने वाली)
वृष्य,  बल्य, वातशामक, विषनाशक,  गुल्म ( बाय का गोला), प्लीहारोग, यकृत विकार,  कफ़रोग नाशक,  ज्वरहर, ग्रन्थि नाशक( टुमर, सीस्ट,) नाशक, जले हुए मे लाभकारी, त्वचा के लिये हितकर,पैतिक और रक्त्ज रोगों का नाशक।

 इसका घन यानि एलुआ मुख्य रुप से आर्तवजनन होता है ।

अब सवाल आता है कि इसका प्रयोग कैसे करे या किस रुप मे करे? आपके पास दो विक्ल्प है , एक एलोव वेरा जूस और अन्य  आयुर्वेदिक शास्त्रिय योग जैसे कि कुमार्यासव । आईए इनका तुलनात्मक अध्ययन करके देखेते है ।
एलोव वेरा जूस मे सिर्फ़ एक घटक यानि ग्वारपाठा होता है , जिसमे कम्पनिया इसको सुरक्षित रखने के लिये विभिन्न प्रकार के प्रिजर्वेटिव  केमिकल डालती है जैसे की - सिट्रीक एसिड , सोडियम बेन्जोएट, आदि आदि,।

अब  ऋषिमुनियों द्वारा वर्णित योग यानि कुमार्यासव का अध्ययन करते है ---
 मुख्य द्रव्य- ग्वारपाठे का रस
  २ शहद, ३, लोह्भस्म,४,पुरानागुड,
 मुख्य  प्रेक्षप द्रव्य---
  हल्दी, अकरकरा, त्रिफ़ला, त्रिकटु, नागकेशर, पिप्प्लीमूल, मुलेठी, पुष्करमूल, गोखरु,केवांच के बीज, उटंगन के बीज,  पुनर्नवा,  लोंग, इलायची, देवदारु आदि( शा० सं०)
कल्पना-- सन्धान कल्पना ( कुदरती एल्कोहाल )
जैसा कि पहले बताया है  मुख्य रुप से ग्वारपाठा कफ़पित्त शामक होताहै  यानि यदि लगातार इस को अकेले हि प्रयोग करते है तो यह शरीर मे दोषों को असाम्य कर सकता है । एलोव वेरा जुस मे  केमिकल भी होते है यह भी सोचीये  ..........?

लेकिन  कुमार्यासव मे कोई केमिकल नही होता और न ही सिर्फ़ एक ही द्रव्य , ग्वार पाठे के विपरित प्रभाव को दुर करने के लिये इसमे अन्य द्रव्य बहुत है ।
अत: मेरे विचार मे  एलोव वेरा जुस की आपेक्षा कुमार्यासव लेना हितकर है ।

 


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9 comments:

  1. अच्छी व उपयोगी जानकारी है।आभार।

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  2. can males also use this aasav ? kripya bataen.

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  3. जी हाँ मुनीष जी, इसको दोनो स्त्री और पुरुष बे हिचक प्रयोग कर सकते है । शारङ्धर संहिता मे इसकॊ शुक्र दोष नाशक भी बताया गया है

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  4. कुमार्यासव : यदि मैं इसे लेना चाहूं तो कैसे लूं और किस प्रकार लाभकारी रहेगा।

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  5. बहुत ही उपयोगी लगी यह जानकारी संजय जी ..शुक्रिया ..इसी तरह और भी विषय में जानकारी देते रहे ..

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  6. बहुत अच्छी व उपयोगी जानकारी !

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  7. yaunshakti badhane ke liye kya gwar patha ke halwe mein safed musli milani bhi jaruri hai

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  8. suresh ostwal mumbai.aajkal mlm companiya product ke roop mai allovira juice bechti hai. aisai mai yah jankari kafi mahtva rakhti hai. kyoki aaj dar aur lalach bik raha hai. dhanyavad!

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  9. एलोवेरा का जूस या जेल बनाने का तरीका व उपयोग करने का तरीका बताने की मेहरबानी करे

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