आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

May 02, 2009

दाद पर विचित्र चुटकला , yeast infection, fungal infection of skin

दाद अपनी प्रकृति से ही जिद्दि होता है , समय पर चिकित्सा न करने पर यह चिरस्थाई रहने वाला रोग होता है खासकर गुह्यय अंगो के और गर्दन पर होने वाला दाद । पुराना होने पर भले ही आप कितनी हि एंटी फ़ंगल क्रीम लगाले पर कुछ दिनो बाद फ़िर अपने रुप मे आ जाता है ।
                  यदि आपको कोई पुराना दाद या उस जैसा कोई इन्फ़ेक्सन है तो आप निम्न बातों का ध्यान रखें----
 
     १) सामान्य नहाने वाली साबुन, शैम्पु, आदि केमिकल का प्रयोग बन्द कर दे ! नहाने के लिये केवल गिलिसिरिन सोप का प्रयोग कर सकते है
    २)यदि आप कोई एटी फ़ंगल क्रीम लगा रहे है तो आप उसे लगातार लगाएं, ऐसा मत करे कि  १-२ दिन लगाई और कुछ ठीक होने पर फ़िर छोड दी ! इससे दाद और भी जिद्दि हो जाता है
   ३) नहाने के बाद नारियल का तैल लगाएं।
    ४)  पहनने वाले कपडे अच्छी तरह धुले हुए और सुखे हुए होने चाहिये , मेरा कहने का अभिप्राय यह है कि  उनमे डिटर्जण्ट का मामुली सा अंश भी नही रहना चाहिये।
      


 ये मामुली सी बाते आपको विभिन्न त्वक विकारों से बचा सकती है ।
   अब जिद्दि दाद के लिये कुछ आयुर्वेदिक योग--
  पकने वाले दाद के लिये-  त्रिफ़ला को तवे पर एक  जला ले (  त्रिफ़ला को तवे पर रख कर  उस पर कटोरी उलटी कर के रख दे ताकि धुवां त्रिफ़ला की भस्म मे ही रम जाए) फ़िर उसमे कुछ फ़िटकरी मिला कर  और वनस्पतिक घी, कुछ देसी घी, सरसो का तैल, और  कुछ पानी  , सबकी समान मात्रा होनी चाहिये , इन सब को मिलाकर इनको खरल मे अच्छी तरह मर्दन  करे , और मलहम बना ले । बस आपकी क्रीम तैयार ,  पकने वाले और स्राव युक्त दादों पर इसे लगाए ।
जिद्दि और रुखे दाद के लिये------
पलाश के बीज, मुर्दाशंख, सफ़ेदा,  कबीला, मैनशिल,  और माजु फ़ल  इनका चुर्ण समान मात्रा मे,  करन्ज के पत्तों का रस, निम्बु क रस, इनसे भावना देकर सारा दिन मर्दन करें । बस औषधि तैयार है । इन सब की गोली बनाकर सुखा ले और गुलाब जल के साथ घीस कर प्रभावित स्थान पर लगाले ।

3 comments:

  1. आप के सुझाव अच्छे हैं , मगर हम आपको एक बहुत ही सुलभ , सस्ते और आजमाए हुए तरीके से अवगत कराना चाहेंगे ताकि और लोग भी लाभान्वित हो सकें | जीहाँ , मिट्टी का तेल लगाने से दाद जड़ से नष्ट हो जाता है , खूब मलमल कर साबुन से नहाइए , सफाई का बहुत ध्यान रखिये , दिन में दो बार मिट्टी का तेल प्रभावित हिस्से पर लगाइए , कुछ ही दिनों में ये मटमैला होकर मैल की तरह साफ़ हो जाएगा | बस खुले घाव वाली जगह पर न इस्तेमाल करें , क्योंकि ये बिना घाव वाली त्वचा पर भी जलन जैसा असर देता है , जिसके लिए घबराने की जरुरत नहीं है , क्योंकि दवा असर कर रही है , ऐसा समझें |

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  2. दाद के बारे में बहुत ही अच्छी जानकारी प्रदान की है जो भविष्य में किसी के लिए भी लाभदायक सिद्ध साबित हो सकती है .
    आभार हूँ
    महेंद्र मिश्र
    जबलपुर.

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  3. वंदना जी
    जानकारी के लिए हम आपके आभारी है. पीड़ित लोग आपके नुस्खों से जरूर लाभान्वित होंगे , उम्मीद है भविष्य में भी आप और नवीन जानकारी देंगी .
    - विजय

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