आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

April 01, 2010

बहुत दुख हुआ !!!!!!!!!!!!!!!!!

आज मैने कुछ ऐसे टाईटल युक्त ब्लोगों को पड़ा जिनका टाईटल पड़ कर अनायास ही उनकॊ देखने का दिल करता है , हालाकि मै बहुत ही कम लेख पड़ता हु॒ ,



बहुत दुख हुआ , बहुत ही ज्यादा दुख हुआ, अपनी ही धरा पर अपनी ही धरा की बेईज्ज्ती और अपनी ही संस्कृति की खिल्ली उड़ते हुए मैने इस बलोग पर देखी है ???????


पहले तो ऎसे ब्लोग नही थे ? अब कहां से आ गये ? कुछ गिने चुने लोग अपने स्वं के धर्म को बड़ा बताते हुए भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ा रहे है ।वह भारतीय संस्कृति जो अनेक धर्मो की जननी है , उस जननी की वो लोग खिल्ली उड़ा रहे है ? अचरज होता है मुझे !!!! और अपनी ही संस्कृति का मजाक देखेने के लिये हम स्वयं इस तरह के ब्लोग पर जाकर उनके होसले को और बड़ा रहे है ???



सचमुच आज मै बहुत ही दुखी हुँ ।


अपने ही देश मे बेगानो की तरह रहना पड़ रहा है !!!!

5 comments:

  1. राणा साहब, मैं भी यही दुआ कर रहा हूँ की भगवन इनको सदबुधि दे !

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  2. गोदियाल साहब , यह बड़ी ही शरम की बात है , अगर ऎसे ही वोट बैक, लुटतंत्र और नकली सेक्युलिरिसम चलता रहा तो वो दिन दूर नही जब या तो हमारी अगली पीड़ीया गुलाम हो जाएंगी या फ़िर दोबारा फ़िर देश का विभाजन हो जाए ? अगर सरकार मेहरबान रही तो , इस कारनामे मे ज्यादा देर नही लगेगी

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  3. bhagwaan aapko bhi sadbudhi de pc godiyal

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  4. इससे भी ज्यादा दुःख की बात है कि इनको कांग्रेस की और से राजनैतिक संरक्षण भी प्राप्त है,
    अब यदि हम न जागे तो जीवित तो रहेंगे. पर बिना सभ्यता और संस्कृति वाले एक पशु की तरह.

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