आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

May 30, 2007

मानसिक तरंगे


कभी आपने सोचा है की कोई कोई व्यक्ति बहुत ही विलक्षण बुद्धि का होता है ..
ऐसा कई बार हम अपने आस पास होता देखते हैं जैसे की
एक बहुत ही मशहूर आदमी 4000 साल बाद आने वाले सप्ताह के दिनो को बता देता है
एक और आदमी था जो अँधा था और चाकू और काँटा भी हाथ से उठा नही पाता था
परन्तु जब उसने 13 साल की आयु में एक प्यानो धुन को सुना और उसी वक़्त सबको वही धुन वैसे
ही सुना के हैरान कर दिया ... यह हमारी बुद्धि का ही चमत्कार है .. हम अपनी बुद्धि का बहुत कम हिस्सा
केवल 10% हिस्सा ही प्रयोग कर पाते हैं

हमारा अचेतन मन हमारी शक्ति का ख़ज़ाना है अपने अंदर की उर्जा को जगा के हम अपने जीवन को और सुंदर बना सकते हैं
हमारे मस्तिष्क में जो तरंगे उठती है उनको उर्जा वान करके कई समस्याओ को सुलझा सकते हैं

तरंगे 4 तरह की है ..

डेल्टा तरंगे ,, हमारे शरीर के प्रत्येक चक्र को कुछ मिनट तक उर्जा दे कर जागृत करके इनको जागृत किया जा सकता है
यह मूल रूप से नींद की गहरी अवस्था होती है

थीटा तरंगे ... यह हमारी अर्ध चेतन अवस्था है इस में चक्रो को उर्जा दे के कल्पना शक्ति
संवेदन शीलता और सम्मोहन की अवस्था को पाया जा सकता है

अल्फ़ा तरंगे .. यह चेतन और अवचेतन मन का संगम कहलाती है ..यह हमारे सच और ख़्याली पुलाव की अवस्था
.इस में बाहरी चेतना और अंतरिक चेतना को चक्रो को जागृत कर के मिलाया जाता है

बीटा तरंगे .. यह पूर्ण चेतन अवस्था है ..इस में हमारा ध्यान अपनी सभी केंद्रों
पर रहता है पर हम बाहरी दुनिया के काम करते रहते हैं

इन तरंगो के माध्यम से आप जो भी जीवन का उद्देश्य पाना चाहे पा सकते हैं
बस ध्यान की अवस्था में आपको सोचना है की आपको सच में मिल गयी है
और यह विचार आपको पॉसिटीव [सकरात्मक]जीवन की सफलता की और लेते जाएँगे ...
संसार भर में कई मानसिक और आध्यतमिक डाक्टर इस को अपना रहे हैं
और सफलता पा रहे हैं ..

कुछ जानकारी आप इस विषय मे चाहे तो हमसे संपर्क कर सकते हैं

[यह जानकारी मानसिक तरंगो से संबधित एक लेख से ली गयी है ]
रंजना भाटिया और डॉक्टर गरिमा तिवारी



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4 comments:

  1. मानव मास्तिष्क के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है आप ने इस लेख के माध्यम से.. मेरी जानकारी के अनुसार एक औसत आदमी अपने जीवन में अपने मास्तिष्क की क्षमता का १% ही प्रयोग करता है... इसी से मास्तिष्क की असीमित क्षमता का अन्दाज लगाया जा सकता है.

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  2. शुक्रिया इस जानकारीपूर्ण लेख के लिए

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  3. ईश्‍वर ने हमें जो माइक्रोचिप मस्तिषक में लगाकर भेजा है यदि उसका जरा भी उपयोग हम करे तो बेहतर बन सकते हैं। खुद व्‍यक्ति जान सकता है कि अब उसके साथ क्‍या घटेगा। आपके लेख बेहतर होते हैं और लगता है लोग इसका लाभ उठाएंगे और जीवन को उन्‍नत बनाएंगे।

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  4. यह बहुत अच्छा प्रयास है, इसे जारी रखें -दीपक भारतदीप

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