आयुर्वेद मे हरिद्रा क प्रयोग अनेक रोगों मे किया जाता है। मुख्य रुप से इसका प्रयोग एलर्जी के हर प्रकार के रोगो मे किया जाता है।
पुराना जुखाम जिसमे छिंके बहुत आती हैं और नाक बहती है: पुरानी श्वास जन्य खाँसी --- १०० ग्रा. हल्दी, और १०० ग्रा. देसी खाण्ड, मिलाकर १ -१ चमच दिन मे तीन बार ताजे पानी के साथ:
त्वचा के स्राव युक्त एवं खुजली युक्त रोग:--हल्दी २ ग्रा. सारिवाद्यासव के साथ दिन मे दो बार
कृप्या बाजारी हल्दी का प्रयोग मत करे इसमे मिलावट होती है। बेहतर यही होगा की आप बाजार से हल्दी की गांठे लाकर उनको पीसकर प्रयोग करे।
आज के आधुनिक युग मे जहाँ हमने दवाईयों से कई बीमारीयों पर फतह पायी है, वही इनके साईड-इफ़ेक्ट के कारण कई नयी बीमारीयों से ग्रस्त भी हुए हैं, हमारा यह प्रयास होगा कि आप तक ऐसे अचूक तरीके ले आयें ताकि आप बिना किसी अतिरिक्त हानि के स्वास्थ्य लाभ कर सकें।
आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।
हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।
हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया
" bhut kamgar lgee aaj ke ye post, aajma kr bhee dekhenge. thanks for sharing"
ReplyDeleteRegards
वहत ही अच्छा सुझाव हरिद्रा की वारे मे । उदर रोगों के लिए भी हरिद्रा लाभकारी है । इस बिषय पर भी थोडा प्रकाश दालेंगे तो उपकृत रहुंगा ।
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