आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

October 20, 2008

जल ही जीवन है

पीने योग्य जल के गुण: अव्यक्त रस ,अमृत के समान,त्तृप्ति दयाक,शरीर को धारण करने वाला, सुख उतपन्न करने वाला, श्रम, क्लम,प्यास, मूर्च्छा ,तन्द्रा, निद्रा, तथा दाह को शांत करने वाला होता है।
मूर्च्छा , पित्त के रोग, ऊष्ण काल, दाह, विष के रोग,मदात्यय,भ्रम,क्लम,तमक श्वास,वमन, इन सभी मे शीतल जल प्रशस्त है।
छाती की वेदना, जुकाम, वायु के रोगों मे,गले के रोगों मे, पेट अफ़र जाने मे, बदहजमी मे, हिचकी मे, कोष्ण जल का सेवन करना चाहिए।
स्थूलता मे. कोष्ण जल भोजन के तुरन्त पहले पीना चाहिए।
कृशता मे शीतल जल का पान भोजन के तुरन्त बाद करना चाहिए।
यदि मनुष्य स्वस्थ है तो सादा पानी भोजन के बीच मे ग्रहण करना चाहिए।

4 comments:

  1. bilkul ji . bahut accha likha aapne .

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  2. पानी जैसा अमृत कोई नही है ..अच्छी जानकारी दी है

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  3. "pehle baar blog dekha or pdha, very informative and good"

    Regards

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  4. उपयोगी जानकारी।

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