आज ३० सितम्बर को जीवनऊर्जा के द्वारा १०००वें प्रश्न का समाधान दिया गया। वो भी तब जब जीवनऊर्जा पर नए पोस्ट नहीं डाले जा रहे हैं, मैं समझती हूं कि यह अपने आपमें जीवनऊर्जा के लिए बड़ी उपलब्धि है। जीवनऊर्जा यानि कि आप, मैं और वह हरेक व्यक्ति जो ऊर्जान्वित जीवन जीने की तमन्ना रखता है। आप सबको जीवनऊर्जा की तरफ से ढ़ेरो बधाई।

हम आपके प्रश्नों को पाकर एवम उनके समाधान की कोशिश कर अत्यंत प्रसन्न हो रहे हैं। आगे भी ये सिलसिला यूंही बना रहेगा। आप मुझे avgroup@gmail.com पर अपने सवाल यूंही भेजते रहें और जीवनऊर्जा से अपना स्नेह बनाएं रखें।

हमें यह बताते हुए भी हर्ष हो रहा है कि अब कुछ दिनो से हनी मनी नामक प्रत्रिका में भी जीवनऊर्जा के लेख नियमित रूप से हर महीने आने लगे हैं। उस पत्रिका के पाठको का स्नेह भी जीवनऊर्जा को वैसा ही मिल रहा है जैसा आपने दिया। ..... तहेदिल से शुक्रिया

July 14, 2008

मधुमेह

मधुमेह भी उच्च रक्तचाप की तरह हर घर मे जम रहा है, मुझे याद है कि दीघा बीच से लौटते हुए हम एक जगह पर चाय पीने रूके, हमे देखते हुए उसने पुछा सर चाय मे चीनी डालनी है या नही?
मै हतप्रभ थी कि भला ऐसा क्यों पुछा, इसलिये मैने उससे जवाब भी माँगा, बैरे ने बडे आराम से जवाब देते हुए कहा कि मैम, यहाँ आने वाले यात्री अक्सर सम्पन्न परिवार के ही आते हैं, और समपन्नता कि निशानी मधुमेह है... इसलिये ऐसा हम पुछ लेते हैं :।
मेरा दुसरा सवाल था कि सुबह से यहाँ कितने लोग आये और कितनो ने बिना चीनी की चाय पी?
जवाब आप सुनना भी नही चायेंगे..... ९९% प्रतिशत लोग फ़ीकी चाय लेते हैं। मतलब कि उस होटल से गुजरने वाले ९९% लोग मधुमेह के शिकार होंगे... :। ।
आँकडा मेरे लिये चौकाने वाला था, रास्ते मे ही फ़ैसला लिया गया कि मेरा अगला काम मधुमेह पर ही होगा, यह वाक्या करीब ४ साल पहले के है... कोलकता वापस आकर, अपने ग्रुप के डॉक्टर्स से मिली, सबने कहा कि एक बार मधुमेह जिसे हो जाये, वो जाता नही है... हँसते हुए मैने कहा कि ये तो मुझे भी पता है, अगर यही जवाब सुनना होता तो मै आपसे मिलती ही क्यों?
खैर फ़िर हमने थोडी से मेहनत की, नतीजा निकला कि ठीक होने का वक्त आपको कितना मधुमेह है और कितने सालो से है यह तय करेगा, पर यह बीमारी अब ला-इलाज नही रहेगी।

इस पोस्ट को मै २ भागो मे लिखुँगी, अभी बता रही हुँ इलाज, अगले पोस्ट मे बताऊँगी हम मधुमेह के गिरफ़्त मे ना आयें उसका तरीका ।
  1. मधुमेह होने पर सबसे पहला काम वही होगा, चिर परिचित, यानि की शुरू मे अपने डॉक्टर्स की सारी बाते मानी जाये। यानि की नियमित दवा लें, मीठे वगैरह से परहेज करें। वगैरह वगैरह
  2. सुबह उठकर जॉगिंग शुरू करें।
  3. सुबह शाम प्रेतासन करें १०-१० मिनट के लिये।
  4. अल्फ़ा हीलींग लेना शुरू किजिये।
  5. औरा हीलींग भी कराईये।
  6. आपके औरा के हिसाब से कृस्टल हीलींग भी कराईये।
  7. नीले रंग की बोटल मे पानी रखिये और १२ घंटे तक उसे धुप मे रहने दिजिये, तापमान सामान्य होने पर उसका सेवन करिये।
  8. जहाँ तक हो सके नीले रंग के हल्के वस्त्र पहनकर सुबह मे सुर्यस्नान की आदत डालिये।
  9. मधुमेह चेक-अप नियमित कराते रहिये ताकि आपको समझ मे आता जायेगा कि कितना लाभ हुआ।
  10. सेल्फ़ मेडिटेशन शुरू किजिये।
  11. बहुत जरूरत होने पर समय समय पर यौगिक उपवास भी किजिये। ध्यान रहे कि यौगिक उपवास कि विधी आप खुद से ना बनाकर, चिकित्सक से परामर्श करके ही बनाईये, खुद से चार्ट बनाना हानिकारक भी हो सकता है।

कुछ ही समय मे आप पायेंगे कि आप रोगुन्मुलन कि दिशा मे बढ चुके हैं, फ़िर आपको फ़ीके खानो की जरूरत नही पडेगी।

नोट- यहँ कोई चमत्कार नही होने वाला है, ऐसा नही कि आप २-४ दिनो मे ठीक हो जायेंगे, आपकी स्थिती, आपके और आपके हीलर के धैर्य और मेहनत के फ़लस्वरूप सफ़लत मिलती जायेगी।

5 comments:

  1. रंजना जी,
    आप की इतनी सुन्दर जानकारी के लिये ध्न्यवाद । में कब्ज़ से पीडित हूँ, पिछ्ले बीस वर्श से,। योगासन भी करता हूँ, और सुबह लगभग आठ गिलास पानि भी पीता हूँ । रेकी दूसरी डिग्री तक किया हुआ हूँ । कॄपया आपके अनुभव से यदि कोई उपाय है तो बताइये । या सम्भव हो तो इस पर एक लेख लिखिये!!

    धन्यवाद
    दीपक
    dgupta70@gmail.com

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  2. अच्छी जानकारी है. धन्यवाद.

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  3. रंजना जी दीपक की तरह मैं भी जगह कब्जाए माल से परेशान हूँ। और यह भी बताएं कि मधुमेह क्या करने से नहीं होता है।

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  4. बधाई एक और अच्छी पोस्ट के लिए , गरिमा। ९९ % लोगों ने फीकी चाय पी ,दीघा से लौटते - इसका निष्कर्ष उन सभी को मधुमेह रहा होगा यह निकालना गलत है। बिना चीनी की चाय बना कर देनी पड़ती है , इसलिए ताजी होती है। चाय के गहन प्रेमी इसलिए बिना चीनी की चाय पसन्द करते हैं,बिना मधुमेह भी।

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  5. D gupta जी, सुरेश, दिनेश जी, और अफलातुन जी आप सभी का शुक्रिया।

    गुप्ता जी और दिनेश जी कब्ज पर पोस्ट लिखा जा चुका है, आप देख लिजियेगा ।

    अफ़लातुन हम राऊआ बातिया से सहमत बानी, तबो ए बाती से इनिकार ना कईल जा सकेला कि मधुमेह महामारी के रुपवा मे नईखे फ़ैलत।

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